School Song
हिम शीत गया है बीत किन्तु ऋतुराज रिझाना शेष अभी
उन्सुक्त हुए नव -जीवन में जन ज्वार जगाना शेष अभी।
उल्लास उठाना शेष अभी।
अंगड़ाई लेती तरुणाई।
व्याकुल है आगे बढ़ने को।
धरती का भाग्य बदलने को ताकत अजमाना शेष अभी।
दुःशासन चीर उतार रहा।
बूढ़े सब बैठ देख रहे
पर भीम व्रती का क्रोधित हो कसमें है खाना शेष अभी।
संभ्रम में अब भी है अर्जुन
अपना है कौन पराया है
नूतन् परिवेश दिशा करके गीता समझाना शेष अभी।
फल की जिनको चाह नहीं
अभिमन्यु अनेकों प्रस्तुत हैं
अनगिन इन ऊर्जा-स्रोतों के हैं तार मिलाना शेष अभी।
जय का पथ दर्शन करने की
सागर लाँघे है-लाघेंगे
हम कौन हमारा दर्शन क्या यह याह दिलाना शेष अभी