About School

रामेश्वर लाल खंडेलवाल विद्या मंदिर चतरा विद्यालय का इतिहास प्रकृति के अनमोल रत्न एवं राष्ट्रीय के भावी कंधार बालक को सा विद्या या निबंधयेत के पाश से मुक्त करा कर सा विद्या विमुक्तये करने का हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य विद्या मंदिर जिसका मात्र ध्येय है अपने बालक राष्ट्रीय निर्माण और राष्ट्रीय चरित्र निर्माण के अद्भुत बन सके उसके हृदय में सृजन के संकल्प आंखों में वैभव के स्वप्न और कर्म में देश माता के शहनाई वादन से गुंजित हो । जहां बालक के जीवन में पांडित्य की तेजस्विता मातृभूमि के गौरवशाली सांस्कृतिक जीवन का स्वाभिमान महापुरुषों के प्रति तादात्म्य भाव, सामाजिक जीवन के प्रति कृतज्ञता तथा अपनी प्रतिमा को मां शारदे के श्री चरणों में समर्पित करने की ललक। विद्या मंदिर का उद्देश्य है कि विद्यार्थियों को स्वावलंबन का भाव उत्पन्न करना ,इसलिए स्व को परिपुष्ट बनाने के लिए अपने देश , वेशभूषा, भाषा, धर्म कर्म के प्रति निष्ठा श्रद्धा तथा ममत्व जाग्रत करने का पुनीत कार्य विद्या मंदिर अपने हाथों में लिया

  इस निमित्त वह शिशु सभा , शारीरिक कार्यक्रम, रंगमंचीय कार्यक्रम, शिविर ,वन विहार, देशदर्शन, यात्रा सरस्वती पूजा, मूल्यांकन , क्रियान्वयन, आदि की सुव्यवस्था देने की सफल कोशिश कर रहे हैं। Note gold but men can make a nation strong उत्साही आचार्य आचार्या के संसर्ग में अपने मैंने बहन महान कवि बच्चन के साथ सताल नर्तन करने को मचल रहे है. हम आने वाले दुनिया में, हम कुछ कर दिखलाएंगे भारत के ऊंचे माथे को ऊँचा और उठाएंगे । विद्या मंदिर का वातावरण पारस्परिक परिवारिक प्रेम एवं स्नेह से ओतप्रोत है मंदिर की भांति शुद्ध एवं चरित्र स्वच्छता निम्रता एवं भक्ति में अद्वितीय है विद्यालय का प्रारंभ शून्य कालांश वंदना तथा विसर्जन विशेष रूप से संस्कारक्षम होते है । भारतियतानुकूल शैक्षणिक प्रविकीर्णन से अभी भूत होकर मान्यवर सर्वश्री महाप्राण स्व रामेश्वर लाल खंडेलवाल एवं उनके पुत्रों द्वारा प्रदत भूमि पर स्थानीय शिक्षानुरागियों द्वारा वैचारिक सहयोग से यह विद्यालय साकार रूप पा रहा है ।